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हरिद्वार में 5 विधायक और एक पूर्व मुख्यमंत्री नही लगा पाए कांग्रेस प्रत्याशी की नैया पार

बीजेपी के सामने फ्लॉप साबित हुई कांग्रेस की रणनीति, हार के ये माने जा रहे कारण?

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क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) उत्तराखंड की सभी 5 लोकसभा सीटों हरिद्वार, टिहरी, पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर बीजेपी ने जीत का परचम लहरा कर हैट्रिक लगा दी है।

बता दें कि यहां पिछले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने सभी सीटों पर क्लीन स्वीप किया था और अब इतिहास को दोहराते हुए एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मार ली है।

लेकिन प्रदेश की सबसे हॉट सीट माने जाने वाली हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस धराशाई होती नजर आई है।

इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत 5 कांग्रेस विधायको की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। लेकिन कांग्रेस की रणनीति बीजेपी के सामने फ्लॉप साबित हुई।

ये रहा कारण…….

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिन रात अपने बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र सिंह रावत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया।

और अन्य कांग्रेस प्रत्याशियों की उन्होंने सुध नहीं ली। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए अपने बेटे को टिकट दिलाने में कामयाबी हासिल की थी।

लेकिन उनके परिवारवाद के कारण कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जताते हुए कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कांग्रेस के 5 विधायक हरिद्वार प्रत्याशी की नैया पार नही लगा पाए।

वही जानकार बताते हैं कि कांग्रेस की रणनीति तैयार करने में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किसी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की सलाह नही ली। और मनमाने तरीके से अपनी चाल चली। इसी कारण कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत के चक्रव्यूह में फंस गए। जिसके कारण उनके बेटे को करारी शिकस्त मिली। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने हार का ठीकरा किसी के सिर नही फोड़ा हैं। लेकिन सब जानते है उत्तराखंड में हार का कारण कौन हैं। वही भले ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन की बात कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस ने अभी कोई मंथन नही किया है। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है। कि इंडिया गठबंधन ने देश में अच्छा प्रदर्शन कर दिखाया। लेकिन बेटे को सांसद बनाने की चाहत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अधूरी रहे गई है। इसी कारण उनकी जिद्द बंदी के चलते कांग्रेस को उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर करारी हार मिली है।

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