भाई-भाभी के हत्यारे सरताज की फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील
8 साल पहले पैसे के लेन देन को लेकर आरोपी ने अपने भाई और भाभी को उतारा था मौत के घाट
क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) 8 साल पहले हरिद्वार के रानीपुर में पैसों के लेनदेन में भाई और भाभी की हत्या करने वाले दोषी को फांसी की सजा से राहत मिल गई है।
(फाइल फोटो)
हाईकोर्ट ने अपर सत्र न्यायालय हरिद्वार का निर्णय बदलते हुए दोषी को फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का फैसला सुनाया।
क्या था पूरा घटनाक्रम……..
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घटनाक्रम के अनुसार, गोविंदपुर दादूपुर निवासी शहजाद पुत्र सलीम का जम्मू-कश्मीर में जड़ी-बूटी से जुड़ा व्यवसाय था। शहजाद ने छोटे भाई सरताज को किसी काम के लिए 50 हजार उधार दिए थे।
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24 सितंबर वर्ष 2016 को जम्मू-कश्मीर जाने के लिए शहजाद ने सरताज से रकम वापस मांगी। पहले तो सरताज ने रकम देने में असमर्थता जताई, मगर शहजाद के दबाव बनाने से बौखलाए सरताज ने घर में ही चाकू से वार कर भाई की हत्या कर दी।
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विरोध में आई भाभी को भी सरताज ने मौत के घाट उतार दिया। उसने चार साल की मासूम भतीजी खुशी पर भी जानलेवा हमला किया, मगर उसकी जान बच गई थी। इसी दौरान मौके पर भीड़ ने आरोपी को घर के अंदर बंद कर दिया था।
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मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 16 गवाह पेश किए गए थे। दोनों पक्षों के साक्ष्यों के आधार पर एडीजे चतुर्थ वरुण कुमार ने अभियुक्त सरताज को भाई-भाभी की हत्या और मासूम भतीजी की हत्या करने के प्रयास का दोषी पाया था। कोर्ट ने धारा 302 में दोषी पाते हुए अभियुक्त सरताज को फांसी की सजा सुनाई और अर्थदंड के तौर पर 71 हजार का जुर्माना भी लगाया था।
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उसके बाद अभियुक्त सरताज ने 2018 में उच्च न्यायालय नैनीताल में अपील दायर की थी। जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसको फांसी की सजा दिए जाने के पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करने के आदेश दिए। भाई – भाभी के कातिल को कोर्ट ने सबूतों के आधार पर राहत दे दी है।