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उत्तराखंड प्रदेश गठन के बाद से अब तक हरिद्वार लोक सभा सीट पर कांग्रेस का इतिहास

2024 में हरिद्वार से कांग्रेस के सीट जीतने के लिए कौन बन सकता संजीवनी और सीट पर कैसे बन सकते है हालात

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क्लिक उत्तराखंड:-(एसके० सिंह/बुरहान राजपुत) प्रदेश के गठन के बाद से अब तक 2009 में हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस ने सिर्फ एक बार जीत हासिल की है। उससे पहले चार बार लगातार कांग्रेस हारती आई हैं। 2009 के बाद से 2014 और 2019 पर कांग्रेस दोनो बार बुरी तरह हारी है।

जैसा की देखने में आ रहा है पूरे देश के साथ साथ प्रदेश में कांग्रेस का ग्राफ दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है अभी भी नहीं लगता कि कांग्रेस को कहीं से कोई संजीवनी मिल सकती है।

लेकिन उत्तराखंड प्रदेश में लोकसभा चुनाव की नजर से एक सीट हरिद्वार ऐसी है। जिस पर जिताऊ प्रत्याशी देने के साथ प्रदेश की बाकी चारो सीटो पर भी जीत की संभावनाएं बढ़ने के चांस ज्यादा है।

लेकिन कांग्रेस अपने वरिष्ठ (बुजुर्ग) नेताओं और उनके द्वारा चलाए जा रहे परिवारवाद के चंगुल से अभी भी बाहर निकलने को तैयार नहीं है। लेकिन अगर पार्टी को प्रदेश में वजूद बचाना है।

तो कांग्रेस को चाहिए कि अपने बुजुर्ग नेताओं को पार्टी के लिए मार्गदर्शक बनाकर परिवारवाद से बाहर निकल कर एक-एक सीट पर जिताऊ प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए। चाहे वह किसी भी पार्टी में रहे हो या किसी भी पार्टी को छोड़कर आना चाहते हो।

(फाइल फोटो)

अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती तो समझा जा सकता है कि शायद यह कांग्रेस के लिए आखिरी चुनाव है। छोटी सी बात उत्तराखंड को लेकर जहां पर कांग्रेस का ग्राफ दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है। कांग्रेस से जुड़े नेता दिन प्रतिदिन कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे है।

लेकिन हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के लिए खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार से मजबूत चेहरा नजर आ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय आलाकमान का मन निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को हरिद्वार से कांग्रेस का टिकट देने का है। लेकिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने या अपने परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट देने की जिद पर अड़े हुए हैं।

हरीश रावत से “हरदा” बने पूर्व मुख्यमंत्री का पार्टी में राजनीति सफर

उत्तराखंड के गठन के बाद “हरदा” प्रदेश में कई अहम पदों पर रहे। लेकिन अगर प्रदेश के साथ साथ अन्य राज्यो में हरीश रावत का इतिहास देखा जाए तो 2009 में कांग्रेस पार्टी ने उनको हरिद्वार लोकसभा सीट पर टिकट दिया था और जिले के सर्वसमाज समेत हर वर्ग ने भारी मात्र में वोट देकर लाखो वोटो से जिताकर उनको सांसद बनाकर उनका कद ऊंचा किया था। जीतने के बाद हरदा केंद्र में मंत्री बने उसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। लेकिन उनके मुख्यमंत्री रहते उनकी पत्नी हरिद्वार से 2014 का चुनाव लाखो वोटो से हारी फिर 2017 में हरदा के नेतृत्व में उनके सीएम रहते कांग्रेस पार्टी 36 सीटों से 11 सीटों पर आ गई पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद दो सीटों से एक साथ चुनाव भी हारे थे। उसके बाद रावत 2019 लोकसभा चुनाव में नैनीताल से एक तरफा चुनाव हारे। फिर क्या था मानो हरदा की राजनीति पर काले बादल मंडराने लगे। उसके बाद 2022 में हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह विधानसभा चुनाव हारी बल्कि रावत खुद विधानसभा चुनाव हारे,और ये ही नहीं हरीश रावत के असम का प्रदेश प्रभारी रहते असम से कांग्रेस की विदाई हुई असम में बीजेपी ने पंद्रह सालों के बाद सरकार बनाई फिर पंजाब का प्रभारी रहते पंजाब से कांग्रेस की अच्छी विदाई हुई पंजाब में कुछ साल पहले बनी आम आदमी ने बहुमत की सरकार बनाई। अब रही बात 2024 के लोकसभा चुनाव की तो अगर कांग्रेस पार्टी अभी भी वरिष्ठ (बुजुर्ग) नेताओं के परिवार वाद के चंगुल से बाहर नहीं आती तो साफ नजर आता है कांग्रेस और राहुल गांधी का युवाओं को आगे बढ़ाने का नारा बिल्कुल झूठा साबित होगा। लेकिन अब भी अगर कांग्रेस हाई कमान इस बात पर गौर नहीं करता कि हरिद्वार में कौन सीट को निकाल सकता है।या फिर उसका राजनीति सर्वे ठीक से नहीं करा पाता तो कांग्रेस को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ेगी।

उमेश को टिकट मिलने से कांग्रेस पार्टी हो सकती हैं मजबूत…. वरिष्ठ राजनीतिज्ञ 

 

कांग्रेस पार्टी में उमेश कुमार की एंट्री से राजनीति गलियारों में हलचल मची हुई है। अंदरूनी तौर पर राजनीति से जुड़े वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी के लिए इससे बड़ी बेवकूफी वाली बात और कुछ नहीं हो सकती उमेश कुमार को हरिद्वार सीट पर टिकट देकर कांग्रेस प्रदेश की बाकी चारो लोकसभा सीटो पर भी बेहद मजबूत स्थिति में आ सकती है लेकिन अगर उमेश कुमार को टिकट नहीं दिया गया तो उमेश कुमार तो लोकसभा लड़ेंगे ही चाहे निर्दलीय ही लड़े लेकिन हरिद्वार में कांग्रेस पार्टी शायद चौथे नंबर पर रहे और आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में उमेश कुमार अपनी पार्टी के सिंबल पर पूरे जिले मे विधानसभा चुनाव लड़ाएंगे तो उस स्थिति में यह माना जा रहा हैं कि जिले मे कांग्रेस के साथ साथ बाकी पार्टियों को भी एक दो सीट मिलनी मुश्किल है,अगर उमेश कुमार हरिद्वार से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़े तो 2027 में उमेश कुमार के नेतृत्व में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने से कोई नही रोक सकता अब क्योंकि प्रदेश में उमेश कुमार एक मात्र ऐसे नेता है जिनकी खुद के दम पर एक अलग पहचान है अब देखना कांग्रेस को होगा कि उत्तराखंड में पार्टी को आबाद करना है या खुद अपने हाथो बर्बाद करना है। और ध्यान रहे पिछले दो सालों में हरीश रावत ने जिला हरिद्वार में चार बार सड़क पर बैठकर धरना दे चुके लेकिन जिले में पांच विधायक कांग्रेस पार्टी के होते हुए भी ज्यादा लोगो की भीड़ को इकट्ठा नहीं कर सके हैं। उसमे चाहे बहादराबाद थाने में दिया गया धरना हो या आपदा के समय रुड़की सिविल लाइन में या फिर इकबालपुर मिल में हो या फिर रुड़की तहसील में चारो धरनों में हरीश रावत की बुरी तरह फेल नजर आए हैं।

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