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शबे कद्र : इबादत, इनाम और दुआओं की रात

शब कदर की रातों को इबादत करने से कई सालो की इबादत का मिलता हैं सवाब.....सैय्यद शादाब खुशतर

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क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपुत) रमजान मुबारक का तीसरा अशरा अपने आखिरी पड़ाव पर है। तीसरे अशरे की 27वीं शब को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है। इसी मुकद्दस रात में कुरआन भी मुकम्मल हुआ। रमजान के तीसरे अशरे की पांच पाक रातों में शब-ए-कद्र को तलाश किया जाता है।

बढ़ेडी राजपूतान की जामा मस्जिद के पेश इमाम सैय्यद शादाब खुशतर ने बताया कि रमजान का पाक महीना खत्म होने जा रहा है।

मुल्क वह दुनिया भर में मुसलमान इबादत में लगे हुए हैं इस दरमियान रमजान में एक ऐसी मुबारक सब होती है जिसमें इबादत करने का आज रुसवाब हजार रातों की इबादत के बराबर माना जाता है।

शबे कद्र एक खास शब है शबे कादर रमजान के पाक महीने की खास सब है रमजान के तीसरे अशरे में यह मुबारक शब शुरू हो जाती हैं 21 वीं,23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं शब शब ए कद्र कहलाती हैं।

शबे कद्र में मुसलमान इबादत करते हैं नमाज पढ़ते हैं तहज्जुद पढ़ते हैं नफिल नमाज पढ़ते हैं दुआ मांगते हैं एक दूसरे के लिए भलाई की दुआ मांगते हैं अपने रब से गुनाहो की माफी मांगते हैं इस मुबारक रात की इबादत का सवाब 83 साल चार माह की इबादत के बराबर होता है। उन्होंने कहा कि आज 27वीं सब को इबादत जरूर करें। इस रात खुदा ताअला नेक व जायज तमन्नाओं को पूरी फरमाता है।

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