क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) प्रदेश एवं पड़ोसी राज्यों में लावारिसों की वारिस के नाम से प्रसिद्ध क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा एक साथ लगभग ढाई सौ अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार में किया गया है।
जो आज तक किसी भी महिला द्वारा नहीं किया गया। जबकि क्रांतिकारी शालू सैनी एक ऐतिहासिक आंकड़ों में तीन हजार के करीब अंतिम संस्कार से लेकर अस्थियों का विसर्जन करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुकी हैं।
(फाइल फोटो)
कोरोना काल के दौरान जहां अपने ही अपनों से दूर भाग रहे थे, इन परिस्थितियों में क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा अपनी जान पर दांव खेल कर शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।
(फाइल फोटो)
जिसके बाद से क्रांतिकारी शालू सैनी लावारिसों की वारिस के नाम से प्रसिद्ध हो गई। जनपद के साथ-साथ पड़ोसी जनपदों एवं राज्यो में वर्ष 2019 से क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा मिथक को तोड़कर इस समाज सेवा को करने के लिए तन-मन-धन एवं निस्वार्थ भाव से सेवा शुरू की गई थी।
जो आज हर आम व खास की जुबां पर लावारिसों की वारिस के नाम से छाई हुई हैं। क्रांतिकारी शालू सैनी ने जनता से अपील की हैं कि कोई भी उनकी इस सेवा में उन्हें अपनी सहायता प्रदान कर सकता है। जिससे की लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार कर मृतकों की आत्मा को शांति प्रदान किया जा सके।
वीडियो देखकर हुई शुरुआत……
शालू को सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो ने विचलित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने यह काम शुरू किया. शालू बताती है कि व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो आया जिसमें श्मशान घाट पर बहुत सारे कलश टंगे हुए थे. बताया गया कि इन कलश में लोगों की अस्थियां हैं जिनको लेने के लिए कोई आ ही नहीं रहा। शालू बताती हैं जब उन्होंने यह काम करना शुरू किया तब उनके सामने कई ऐसी घटनाएं हुई जिन्होंने उन्हें बहुत परेशान किया. वह बताती हैं कि करोना के वक्त उन्होंने कई ऐसी लाशों का अंतिम संस्कार किया जिनके अपने अंतिम संस्कार के वक्त मौजूद रहे लेकिन वह डेड बॉडी को छूने से भी डर रहे थे यहां तक कि लोग मुखाग्नि तक देने को तैयार नहीं थे.