मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों और कई विधायकों ने झोंकी थी उपचुनाव में ताकत, नतीजा रहा फ्लॉप
मुस्लिम गढ़ में अल्पसंख्यक नेता रहे फिसड्डी, काजी ने दिखाई दरिया दिली, पलट गया चुनाव.. हार के ये रहे कारण

क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपुत) मंगलौर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने सत्तधारी पार्टी भाजपा के प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना को 422 वोटो से करारी शिकस्त देते हुए एक बार फिर से जीत का परचम लहराया हैं।
(फाइल फोटो)
ऐसा दो दशकों के बाद पहली बार हुआ हैं जब किसी सत्तधारी पार्टी की सरकार होने के बाद उपचुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा हैं। और हार भी ऐसी की जिसमे मुख्यमंत्री, सांसदों से लेकर कई मंत्रियों और कई विधायकों ने उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी।
लेकिन कांग्रेस के सामने भाजपा की रणनीति फ्लॉप रही। या फिर ये कहा जाए कि काजी के गढ़ को सत्तधारी पार्टी भेद नहीं पाई। जिसके कारण बीजेपी को करारी हार मिली है।
मुस्लिम गढ़ में अल्पसंख्यक नेता रहे फिसड्डी, हरियाणा से बुलाए गए प्रचारकों भी हुई घर वापसी….
सत्तधारी पार्टी बीजेपी ने उप चुनाव को लेकर अपने सभी मंत्रियों और नेताओ को चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के निर्देश दिए थे, और साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलौर में रैलियां कर बीजेपी प्रत्याशी के हक में वोट की अपील थी।
(फाइल फोटो)
मुस्लिम गढ़ होने के कारण बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक नेताओ की टीमों को लगाया था, जोकि केंद्र सरकार और राज्य की धामी सरकार की योजनाओं को लेकर घर घर पहुंचे थे, और बीजेपी प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना के पक्ष में वोट की अपील की थी। लेकिन अपने ही मुस्लिम गढ़ में अल्पसंख्यक नेता फिसड्डी रहे। जिसके कारण कई अल्पसंख्यक नेताओ पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। वही मंगलौर उपचुनाव में हरियाणा से बुलाए गए प्रचारकों भी घर वापसी होनी शुरू हो गई है।
काजी ने दिखाई दरिया दिली, पलट गया चुनाव… हार के ये रहे कारण
मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में मतदान के दिन लिब्बरहेडी गांव में बूथ संख्या 53 और 54 पर दो पक्षों के बीच पथराव, मारपीट और बवाल हो गया था। बवाल इतना बढ़ा था कि काजी निजामुद्दीन मौके पर पहुंचे।
(फाइल फोटो)
और घायलों को अपनी कार में लेकर अस्पताल पहुंचाया था, और साथ ही अस्पताल में घायलों से मिलकर भावुक भी हो गए थे। जिसके कई वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो गए।
(फाइल फोटो)
जानकर मानते हैं कि काजी निजामुद्दीन की इस दरिया दिली देखकर जनता में अलग संदेश गया। जैसे तैसे चुनाव परवान चढ़ता गया। काजी निजामुद्दीन का वोट बैंक बढ़ चला गया। और पूरा चुनावी माहौल पलट गया।
वही जानकारों का यह भी मानना हैं कि इस बवाल के विरोध में कांग्रेस मैदान में कूद गई। और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर कोतवाली ले आई।
इस बवाल का असर विशेष समुदाय पर इतना पड़ा कि भावनाओं में बहकर वोट की चोट से कांग्रेस पार्टी जीत गई। वही अल्पसंख्यक नेताओं का अपने गढ़ में फ्लॉप प्रदर्शन भी हार का कारण रहा।