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ना एक वोट मांगा, ना ही हुआ चुनाव भाजपा ने जीती सीट, लोकसभा चुनाव की मतगणना होने से पहले ही भाजपा ने खोला जीत से खाता 

बीजेपी सांसद उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए... जानिए कहां पर खोला भाजपा ने जीत से खाता

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क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे 4 जून को आने है, लेकिन इससे पहले ही भाजपा ने एक सीट जीत ली है। वोटिंग से पहले ही इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं।

कमाल की बात यह भी हैं की ऐसा 12 सालो के लंबे समय के बाद हुआ जब किसी सांसद ने बिना एक वोट मांगे, और बिना मतदान किए जीत हासिल की हो। दरअसल, गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा को ये जीत मिली है।

हुआ यूं कि कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी के फॉर्म को लेकर बीजेपी की ओर से आपत्ति दर्ज करायी गयी थी। रविवार को सुनवाई हुई और कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा अमान्य कर रद्द कर दिया गया। फॉर्म वापस लेने की प्रक्रिया के दौरान बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल ने अपना फॉर्म वापस ले लिया है।

इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को निर्विरोध घोषित कर दिया गया है। जिससे उनके समर्थकों में खुशी का माहौल हैं।

सूरत लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म रद्द होने के बाद कुल 9 उम्मीदवार मैदान में थे। जिनमें से निर्दलीय समेत 7 उम्मीदवारों ने अपना फॉर्म वापस ले लिया है। अब केवल एक ही उम्मीदवार बचा था। इस बीएसपी उम्मीदवार प्यारेलाल ने सूरत कलेक्टोरेट पहुंचकर अपना नामांकन वापस ले लिया है।

बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ कोई प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार नहीं होगा और ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार को निर्विरोध घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 में सूरत में पहली बार निर्विरोध सीट बन गई है। मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं। साल 1951 से अब तक के चुनाव में बिना किसी चुनावी जंग में उतरे संसदीय चुनाव जीतने वालों की संख्या करीब 35 हो गई है।

ये था कांग्रेस प्रत्याशी का विवाद…….

भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल के चुनाव एजेंट दिनेश जोधानी ने फॉर्म के सत्यापन के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुम्भानी के फॉर्म को लेकर आपत्ति जताई थी और कहा था कि मुझे जानकारी है कि कांग्रेस प्रत्याशी के प्रस्तावक कोई नहीं हैं। इसकी जानकारी कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव एजेंट फिजिक कोल्डी को दी गयी। सुनवाई हुई और कांग्रेस उम्मीदवार के फॉर्म पर प्रस्ताव के तौर पर हस्ताक्षर करने वाले जगदीश सावलिया, रमेश पोलारा और ध्रुविन धमेलिया चुनाव अधिकारी के सामने पेश हुए और कहा कि उन्होंने फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और एक हलफनामा भी दाखिल किया है। इसके बाद इसपर सुनवाई हुई और बाद में चुनाव अधिकारी ने उनका पर्चा रद्द कर दिया।

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