जिलेभर में मुस्लिम समुदाय ने रमाजनुल मुबारक के दूसरे जुमे की नमाज की अदा
आसपास के क्षेत्रों की मस्जिदों में शान्ति एवं भाईचारे के साथ अदा की गई जुमे की नमाज, पुलिस की व्यवस्था चाक चौबंद
क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपुत) रमाजनुल मुबारक के दूसरे जुमे की नमाज रुड़की, कलियर, मंगलौर सहित आसपास के क्षेत्रों की मस्जिदों में शान्ति एवं भाईचारे के साथ अदा की गई।
रमजान के दूसरे जुमे पर शुक्रवार को पर रोजेदारों ने अल्लाह की बारगाह में सिर झुकाए और हाथ उठाकर मगफिरत की दुआ मांगी। जुमे की नमाज अदा करने से पहले उलेमाओं ने अपनी तकरीर में रमजान की फजीलतों के बारे लोगों को जानकारी दी।
माह ए रमजान के दूसरे जुमे की नमाज शांति के साथ अदा की गई। अकीदतमंदों ने नमाज अदा कर मुल्क में अमन और शांति की दुआ मांगी। मस्जिदों के बाहर पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था रही। महिलाओं ने घरों में रहकर जुमे की नमाज अदा की। मौसम ठंडा होने से बच्चों और बूढ़ों ने भी रोज रखें।
सैय्यद वासिफ हुसैन साबरी, जामा मस्जिद के इमाम सैय्यद शादाब खुशतर ने तकरीर करते हुए बताया कि इस्लाम के मुताबिक रमजान के महीने को दस-दस दिन के तीन अशरों में बांटा गया है। पहले दस दिन रहमत का अशरा होता है।
रमजान महीने के दूसरा अशरा मगफिरत अर्थात अल्लाह से अपने गुनाहों से माफी का जोकि शुरू हो गया। जो भी मुसलमान रमजान के रोजे रखता है। सच्चे दिल से अपने गुनाहों का प्रायश्चित करता है। अल्लाह उसके सारे गुनाहों को माफ कर देता है। रमजान के महीने में रहमत के दरवाजे खुल जाते हैं। इस अशरे में गुनाहगारों की तौबा कुबूल की जाती है।
इसलिए इस अशरे में रोजेदारों को अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगनी चाहिए। इस अशरे में पांचों वक्त की नमाज को नियमित रूप से पढ़ते हुए कुरान शरीफ को पढ़ने में मन लगाना चाहिए। भूखों को खाना खिलाएं, जरूरतमंदों की मदद करें और रोजेदारों को इफ्तार कराएं। इससे खुदा राजी होकर अपने बंदों को दिल से मांगी हुई दुआ को कुबूल करता है। जुमे की नमाज निर्धारित समय अनुसार अलग-अलग मस्जिदों में अदा की गई। नमाज के दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने अमन शांति के पैगाम की भी दुआ मांगी।