शिक्षानगरी में विधायक उमेश कुमार के कार्यालय पर हुई फायरिंग ने 33 साल पुरानी यादों को किया ताजा
साल 1992 में गाजियाबाद के तत्कालीन विधायक महेंद्र भाटी की गोलियों से भूनकर की गई थी हत्या, चैंपियन और उमेश के बीच "पॉलिटिकल गैंगवॉर" के निकल रहे हैं कई मायने....
क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) रुड़की शिक्षानगरी में गणतंत्र दिवस के मौके पर खानपुर विधायक उमेश कुमार V/S पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीच हुई पार्टिकल गैंगवॉर ने देशभर की राजनीति में सनसनी फैला दी हैं।
वहीं विधायक उमेश कुमार के कार्यालय पर हुई अंधाधुंध गोलीबारी ने 33 साल पुरानी यादों को एक बार फिर से ताजा कर दिया हैं।
साल 1992 में गाजियाबाद के तत्कालीन विधायक महेंद्र भाटी की दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। जिसकी चर्चा देशभर के अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खिया बनी थी। लेकिन कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया था। जिसमें पूर्व सांसद का नाम भी सुर्खियों में आया था। राजनीति वर्चस्व के चलते इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था।
33 साल बाद इसी तरह सीटिंग विधायक उमेश कुमार V/S पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीच हुई पार्टिकल गैंगवॉर ने एक बार से राजनीति के उस काले अध्याय को तरो-ताजा कर दिया हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने वतर्मान विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर एक बाद एक अपने साथियों के साथ मिलकर कई अंधाधुंध फायरिंग की।
लेकिन उस वक्त विधायक उमेश कुमार अपने कैंप कार्यालय पर मौजूद नहीं थे। लाठी डंडों और पथराव के दौरान कैंप कार्यालय पर मौजूद विधायक उमेश कुमार के समर्थकों को काफी गंभीर चोटे आई हैं।
वहीं विधायक उमेश कुमार ने भी पिस्टल लहराते हुए पूर्व विधायक प्रणव सिंह के कैंप कार्यालय पर दौड़ लगाई। लेकिन मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों और उनके समर्थकों ने उनका रास्ता रोककर इस बवाल को टालने का प्रयास किया। जिसके बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज किया था।
देवभूमि की फिजाओं में कौन घोल रहा है जहर?
ऋषि-मुनियों की नगरी देवभूमि में स्थानीय और बाहरी राज्यों से आकर लोग अपने मन को शांत करते हैं। और सुकून पाते हैं। लेकिन बीते दिनों से देवभूमि के शांत वातावरण और यहां की आबोहवा खराब करने के प्रयास किया जा रहा हैं। इतिहास गवाह है कि धर्मनगरी में ऐसा कभी नहीं हुआ हैं। जब सीटिंग विधायक के कार्यालय पर पूर्व विधायक ने गोलीबारी की हो। लेकिन 26 जनवरी को धर्मनगरी में हुई पार्टिकल गैंगवॉर की घटना उत्तराखंड के इतिहास में काले अध्याय के रूप में शामिल हो गई हैं।
चैंपियन और उमेश के बीच “पॉलिटिकल गैंगवॉर” के निकल रहे कई मायने?….
पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन जेल में बंद हैं। वहीं खानपुर विधायक उमेश कुमार को जमानत मिल गई हैं। जिसको लेकर पूर्व विधायक चैंपियन के समर्थकों और गुर्जर समाज के लोगों में भारी आक्रोश है। वहीं शुक्रवार को विधायक उमेश कुमार के पक्ष में बिना अनुमति सर्वधर्म सभा बुलाई गई थी। जिसके बाद पुलिस के रोकने पर जमकर पथराव हुआ था वहीं पुलिस को लाठियां फटकार भीड़ पर नियंत्रण करना पड़ा। और विधायक उमेश कुमार समेत कई अन्य लोगो पर कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। लेकिन राजनीतिक अनुभवो का मानना है कि विधानसभा चुनाव में पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की पत्नी की हार हजम नहीं हो रही हैं। इसलिए पूर्व विधायक चैंपियन बौखलाए हुए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर छिड़ा विवाद 2027 चुनाव में पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन अपना दबदबा दिखाने के लिए सबकुछ कर रहे हैं। जिसके कारण उनको गोलियों का सहारा भी लेना पड़ा। वहीं विधायक उमेश कुमार भी सरेआम पिस्टल लहराते हुए अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। लेकिन इस दो पक्षीय विवाद को जात बिरादरी के रंग में बदल कर धर्मनगरी की फिजाओं में जहर घोला जा रहा है। बरहाल पुलिस शांति बनाए रखने की अपील कर रही हैं। और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।