बड़ी खबर: अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को कोर्ट ने किया स्वीकार
दरगाह समेत अन्य को जारी किया गया नोटिस, याचिका में किताब के हवाले से दावा
अजमेर: अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए अजमेर सिविल कोर्ट में लगाई गई याचिका को कोर्ट ने सुनने योग्य माना है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से याचिका लगाई गई।
अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हिंदू शिव मंदिर होने के दावे का वाद बुधवार को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए पक्षकारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वादी विष्णु गुप्ता ने विभिन्न साक्ष्य के आधार पर अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश किया था।
बता दें कि मामले में कल यानी मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी। आज भी न्यायालय में सुनवाई हुई और न्यायालय ने वाद को स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलात व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरोहर को नोटिस जारी करने के आदेश जारी करने का फैसला दिया है।
वादी विष्णु गुप्ता की ओर से हरदयाल शारदा की ओर से लिखी पुस्तक का हवाला देते हुए वाद प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उन्होंने अजमेर की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को की जाएगी।
याचिका में किताब के हवाले से दावा
याचिका में दावा किया गया था कि दरगाह की जमीन पर पूर्व में भगवान शिव का मंदिर था. वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है. दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने का भी दावा किया गया. याचिका में अजमेर के रहने वाले हरविलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई एक पुस्तक का हवाला दिया गया. इसके आधार पर दरगाह की जगह मंदिर होने के प्रमाण का उल्लेख किया गया जिनमें दावा किया गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट के बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलवे के अंश हैं. साथ ही वहां एक तहखाना या गर्भ गृह होने की भी बात की गई और कहा गया है कि वहां शिवलिंग था, जहां ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करते थे।