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परिवार के पांच लोगो की निर्मम तरीके से हत्या करने वाले दोषी की फांसी की सजा पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश वाली डबल बेंच ने मामला रखा सुरक्षित, पढ़िए क्या था पूरा मामला

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क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) देहरादून जिले में अपने ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम तरीके से हत्या के दोषी हरमीत की फांसी की सजा पर शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

(फाइल फोटो)

मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश वाली खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अपराध इतना बड़ा था कि दोषी हरमीत ने अपनी बहन के पेट में पल रहे नवजात शिशु समेत परिवार के पांचों लोगो को धारदार हथियार से तब तक वार करता रहा था जब तक उनकी सांसे नही थमी।

दीपावली की रात को आखिर क्या हुआ था……..

(फाइल फोटो)

मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2014 को देशभर में लोग दीपावली का पर्व मना रहे थे, इसी रात को हरमीत ने अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकू गोदकर हत्या कर दी थी।

(फाइल फोटो)

पुलिस जांच में सामने आया था कि हरमीत ने पांचों लोगों को मारने के लिए चाकू से 85 बार वार किया था, जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई।

(फाइल फोटो)

पुलिस की जांच में सामने आया था कि हरमीत के पिता जय सिंह ने दो शादियां की थी। हरमीत को शक था कि उसे पिता सारी संपत्ति उसकी सौतेली बहन के नाम कर देंगे। इसीलिए उनसे घर में मौजूद पांचों लोगों की हत्या कर दी थी।

(फाइल फोटो)

दून पुलिस ने बताया कि हरमीत की गर्भवती बहन हरजीत कौर डिलीवरी के लिए अपने मायके आई थी. 25 अक्टूबर को ही हरजीत की शादी की सालगिरह भी थी, इसीलिए वो 25 अक्टूबर को ही डिलीवरी कराना चाहती थी।

(फाइल फोटो)

लेकिन डिलीवरी से दो दिन पहले यानी 23 अक्टूबर को दीपावली की रात हरमीत ने चाकू से अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे बच्चे की निर्मम तरीके से हत्या कर दी। इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया था।

(फाइल फोटो)

हत्यारे ने घटना को चोरी का अंजाम देने के लिए अपने हाथ भी काट लिया था. पुलिस की जांच में घटना देहरादून के आदर्श नगर का था।

(फाइल फोटो)

24 सितंबर 2014 को पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) देहरादून आशुतोष मिश्रा की कोर्ट ने 5 अक्टूबर 2021 को आरोपी को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनवाई थी. साथ में एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम ने फांसी की सजा की पुष्टि करने हेतु हाईकोर्ट में रिफरेंस भेजा था। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

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