बढ़ेडी राजपूतान में मनाया गया हजरत अली की शहादत दिवस
मौला अली ने अपनी पूरी जिंदगी को इस्लाम पर कुर्बान कर दी.....सैय्यद वासिफ हुसैन साबरी
क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपुत) रुड़की क्षेत्र के गांव बढ़ेडी राजपूतान में 21वें रमजान पर हजरत मौला अली की शहादत के मौके पर फातिया ख्वानी की गई। इस दौरान मौला अली के बारे में लोगो को बताया और उनके नक्शे कदम पर चलने के लिए जागरूक किया गया।
सोमवार देर रात अली इब्ने अबी तालिब यानी हजरत अली स० की शहादत के मौके बढ़ेडी राजपूतान में फातिया ख्वानी की गई। इस दौरान सैय्यद वासिफ हुसैन साबरी ने बताया कि अली इब्ने अबी तालिब यानी हजरत अली अ. की शहादत 21 रमजान (माहे रमजान) सन् 40 हिजरी को इराक के कूफा शहर में हुई थी। उन्हें सुबह की नमाज में अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम ने तब शहीद किया जब मौला नमाज की पहली रकअत का सजदा कर रहे थे।
हजरत अली उस वक्त इस्लाम की मदद के लिए आगे आए जब इस्लाम का कोई भी हमदर्द नहीं था। उन्होंने इस्लाम धर्म को आम लोगों तक पहुंचाया। उनकी इसी सेवाभाव को देखते हुए हजरत मुहम्मद साहब ने उन्हें खलीफा मुकर्रर किया। उन्होंने शांति और अमन का पैगाम दिया था। उन्होंने कहा था कि इस्लाम इंसानियत का धर्म है और वह अहिंसा के पक्ष में है।
हजरत अली ने हमेशा राष्ट्रप्रेम और समाज से भेदभाव हटाने की कोशिश की तथा यह भी कहा था कि अपने शत्रु से भी प्रेम करो तो वह एक दिन तुम्हारा दोस्त बन जाएगा। उनका कहना था कि अत्याचार करने वाला और उसमें सहायता करने वाला तथा अत्याचार से खुश होने वाला भी अत्याचारी ही होता है। इस दौरान बड़ी संख्या में अकीदतमंद स्थानीय लोगो मौजूद रहे।