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रहमत बरकत का महीना माह-ए- रमजान के चांद का हुआ दीदार 

मस्जिदों और घरों के अंदर तरावीह का सिलसिला शुरू, कल होगा पहला रोजा 

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क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपुत) चांद के दीदार के साथ रहमत, बरकत का महीना माह-ए- रमजान शुरू हो गया।

(फाइल फोटो)

इशा की नमाज के बाद मस्जिदों और घरों के अंदर तरावीह का सिलसिला शुरू हो जायेगा। इस दौरान रोजेदारों अपने साथ साथ देश की खुशहाली की दुआ मांगे।

वहीं पहला रोजा मंगलवार से शुरू होगा। जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय ने तैयारियां पूरी कर ली है। वही सोशल मीडिया पर लोग माह ए रमजान के मुबारकबाद भरे मैसेज भेजकर एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं।

रमजान का पवित्र महीना रहमतों, बरकतों और मगफिरत का 

बढ़ेडी राजपूतान के इमाम सय्यद वासिफ हुसैन ने बताया कि रोजा अच्छी जिंदगी जीने का जरिया यानी प्रशिक्षण है।

जिसमें इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इंसान का जमीर यानी अंतरात्मा रोजेदार को एक नेक इंसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी हर बात की तरबियत अच्छे संस्कार देता है।

कलियर जामा मस्जिद के इमाम हाफिज सऊद ने माह ए रमजान की मुबारकबाद देते हुए बताया कि रोजे रखने का असल मकसद महज भूख प्यास पर नियंत्रण रखना ही नहीं बल्कि रोजे की रूह दरअसल आत्म संयम, नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प हैं।

वही उन्होंने रमजान की फजीलत पर रोशनी डालते हुए कहा कि अमूमन साल में 11 महीने तक इंसान दुनियावी झंझावतो में फंसा रहता है। लिहाजा अल्लाह ने रमजान का महीना आदर्श जीवनशैली के लिए तय किया है।

मुसलमानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है रमजान का महीना

रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। रोजा को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है।

रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग महीने भर रोजा रखते हैं और अल्लाह की पूरी शिद्दत से इबादत करते हैं।

इस्लामिक आस्था के मुताबिक दिन भर रोजा रखने से बंदे अल्लाह के करीब पहुंचते हैं और दूसरों के कष्टों को समझते हैं रोजा के लिए सुबह सेहरी और शाम को इफ्तार करके रोजा खोला जाता है। इस पवित्र और मुकद्दस महीने का लोगों को पूरे साल भर इंतजार रहता है।

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