
क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपूत) हरिद्वार जिले के भगवानपुर तहसील के गांव मानक मजरा में मनरेगा योजना के तहत चल रहे कार्यों में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का एक ओर नया कारनामा सामने आया हैं।
आरोप है कि शिकायत करने के बावजूद भी मनरेगा अधिकारियों ने बिना जांच किए ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर सरकारी पैसे का दुरुप्रयोग करते हुए भुगतान कर डाला। जबकि ग्रामीणों द्वारा बकायदा अधिकारियों को भ्रष्टाचार से संबंधित दस्तावेजो की छायाप्रति विभागीय अधिकारियों को सौंपकर कार्यवाही की मांग की थी।

ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी शिकायत को ठंडे बस्ते में डालकर विभागीय अधिकारियों ने मिलीभगत कर सरकारी खजाने से धन निकाल कर फर्जीवाड़े का खेल खेला है। 
प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी लगातार जीरो टॉलरेंस की सरकार का मंच से जोरशोर से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वही उनके मंत्री और पदाधिकारी भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का गुनगुना गा रहे हैं। लेकिन जीरो टॉलरेंस की धामी सरकार का संकल्प भगवानपुर तहसील में दमतोड़ रहा हैं।
हुआ यूं कि भगवानपुर तहसील के गांव मानक मजरा में मनरेगा योजना के तहत नाले की खुदाई का कार्य किया गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में धांधली की जा रही है। जिसको लेकर सीएम पोर्टल पर शिकायत के अलावा ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों से भी शिकायत की थी।

आरोप है कि गांव में नाले के लिए कई मास्टर रोल निकाले गए हैं। जिनमें प्रतिदिन 60 से 70 मजदूरों के काम करने का दावा किया गया है। वही आरोप है कि 50 रुपए देकर फोटो खींची जाती हैं। 10 फर्जी मनरेगा मजदूर को खड़ा कर करीब 36 लोगों के नाम से फर्जीवाड़ा हो रहा है। और ऑनलाइन हाजिरी में दिख रहे मजदूरों के हाथों में कोई उपकरण (फावड़ा या खांची) न होने से भी भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है। जबकि फोटो में दिखाई दे रहे लोगों की भीड़ ने जमीन पर कोई काम नहीं किया है।
आरोप है कि शिकायत करने के बावजूद भी मनरेगा अधिकारियों ने बिना जांच किए ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर सरकारी पैसे का दुरुप्रयोग करते हुए भुगतान कर डाला। जिसके कारण सरकारी पैसे की बंदरबांट की बु आ रही हैं।

बरहाल अब देखना होगा कि मामला आला अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद आखिकार क्या कार्यवाही होती हैं? या फिर मामले को रफा-दफा कर ठंडे बस्ते में रखा जाता है? लेकिन ये भी आने वाला समय बताएगा



