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उर्स 2025 में कुल शरीफ की मुख्य रस्म अदायगी: दरगाह साबिर पाक की मुख्य रस्म कुल शरीफ में साबिर की अकीदत और दिवानगी अनोखा आलम

अकीदतमंदों की आंखों से छलक पड़े आंसू, देश की तरक्की और खुशहाली के लिए उठे लाखों हाथ....(पढ़िए खबर)

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क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपूत) साबिर पाक के 757वें सालाना उर्स में शनिवार की सुबह 10 बजे उर्स की सबसे बड़ी रस्म कुल शरीफ अदा की गई। रस्म के बाद दुआ खैर की गई। उसके बाद महफिल-ए-समा का आयोजन किया गया।

दरगाह साबिर पाक: फोटो

इस दौरान बड़ी संख्या में जायरीन उमड़े। कुल शरीफ की रस्म में अलाम ये था कि जो जहां पर थे वहीं से ही कुल शरीफ में जस के तस दरगाह परिसर, बाजारों सड़को और अन्य स्थानों खड़े होकर कुल शरीफ में शामिल हुए। इस दौरान अकीदतमंदों की आंखों से आंसू छलक पड़े, व देश की तरक्की और खुशहाली के लिए लाखों हाथ उठे।

पिरान कलियर में शनिवार को महफिल खाने में हजरत साबिर पाक के उर्स की सबसे बड़ी रस्म कुल शरीफ सज्जादा नशीन शाह अली एजाज साबरी ने अदा कराई। इसके बाद तमाम अकीदतमंदों के लिए शाह अली एजाज साबरी और हाफिज सऊद साबरी ने बड़े जज्बे के साथ सभी जायरीनों ने देश में अमनों ए अमान की दुआ कराई।

कुल शरीफ की रस्म में हजरत साबिर पाक सजरा शरीफ पढ़ा गया। दुआ के वक्त सभी अकीदतमंदों की आंखों में आंसू छलक आए। इसके बाद महफिल-ए-समा का आयोजन किया गया। देश के कोने कोने से1 आए कव्वालों ने अपने अपने कलाम पेश किए। कुल शरीफ की रस्म में साबरी सज्जादा नशीन परिवार की ओर से साहिबजादा शाह यावर मियां, सज्जादा प्रतिनिधि शाह सुहैल, शाह काशिफ ऐजाज साबरी, शाह खालिक, शाह यावर अली, मुनव्वर अली साबरी, समेत अन्य मौजूद रहे।

कुल शरीफ की रस्म में साबिर की अकीदत और दिवानगी का अनोखा आलम, बाढ़ पीड़ितों के लिए भी मांगी गई दुआएं…..

कुल शरीफ की रस्म में शामिल होने के लिए साबिर पाक को चाहने वाले अकीदतमंद आस्थावान जायरीनों के दिवानगी यह आलम था कि दरगाह परिसर में सुबह से ही अकीदतमंद लोग जुटने शुरू हो गए थे। दरगाह परिसर पूरा भरने के बाद साबिर पाक के चाहने वाले बाहर बाजरों व सड़कों पर जहां तहां खड़े हो गए।

कुल शरीफ की रस्म शुरू होते ही तमाम जायरीन हाथ उठाकर मन ही मन में दरबारे साबरी में रो रोकर दुआएं मांगने लगे। जिसको जहां जगह मिली उसने वहीं साबिर पाक से अपनी फरियाद की। कुल शरीफ की रस्म पूरी होने के बाद सज्जादा नशीन शाह अली ऐजाज कुद्दुशी साबरी ने रस्म में मौजूद जायरीनों को प्रसाद बांटा। और कई राज्यों में आई बाढ़ पीड़ितों के लिए दुवाएं मांगी गई।

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