
क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) हल्द्वानी के केलाखेड़ा नगर पंचायत में 2012 में जमीन पर निर्माण की अनुमति के एवज में रिश्वत लेते गिरफ्त में आए तत्कालीन अधिशासी अधिकारी को कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है।

साथ ही कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया हैं। जिसके चलते पीड़ित को न्याय के लिए 13 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। लंबे इंतजार के बाद पीड़ित को न्याय मिल पाया।
तत्कालीन नगर पंचायत के ईओ ने मांगी थी 20 हजार रुपए की रिश्वत:

विजिलेंस के मुताबिक, शिकायतकर्ता के पास उधम सिंह नगर के केलाखेड़ा में एक बीघा 13 विस्वा जमीन थी. जिस पर निर्माण के लिए नगर पंचायत से अनुमति लेनी थी. बीती 26 अप्रैल 2012 को शिकायतकर्ता जब ईओ के कार्यालय पहुंचे तो उन्हें बिना रिश्वत के कार्य स्वीकृत न करने की बात कही गई. इसके एवज में 20 हजार रुपए की डिमांड की गई।

वहीं, पीड़ित ने इसकी शिकायत विजिलेंस से कर दी. शिकायत मिलने पर सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक तिलक राम वर्मा के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच की. जांच में पाया गया कि ईओ संजीव मेहरोत्रा बार-बार पैसे की मांग कर रहा. इसके लिए वो शिकायतकर्ता पर दबाव डाल रहा था। ऐसे में 26 मई 2012 को विजिलेंस की टीम ने जाल बिछाया. जिसके तहत ट्रैप टीम ने कार्रवाई करते हुए ईओ को शिकायतकर्ता से रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया।
वहीं, गिरफ्तारी के बाद मुकदमा दर्ज कर ईओ को कोर्ट में पेश किया गया। तब से मामला कोर्ट में चल रहा था. इस दौरान अभियोजन अधिकारी सुनीता भट्ट ने कोर्ट के समक्ष 7 गवाह पेश किए। वहीं, सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने गवाहों और दस्तावेजों के आधार पर आरोपी को दोषी साबित किया। न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रथम/विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण हल्द्वानी सविता चमोली की अदालत ने संजीव मेहरोत्रा को 3 साल की सजा और जुर्माना लगाया हैं।