
क्लिक उत्तराखंड:-(ब्यूरो) उत्तराखंड शासन ने दो अलग-अलग मामलों में बड़ी कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार के आरोपों में तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। कुमाऊं क्षेत्र में जल निगम के प्रभारी मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास को शासन ने गुरुवार को निलंबित कर दिया। साथ ही हरिद्वार में मनरेगा योजना में गड़बड़ी करने पर दो ग्राम विकास अधिकारियों को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया हैं।

जल निगम से जुड़ा मामला काशीपुर निवासी संजय कुमार की शिकायत के बाद उजागर हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियंता सुजीत कुमार ने मैसर्स हर्ष इंटरप्राइजेज को जल निगम में पंजीकरण और कार्य दिलाने का भरोसा देकर वर्ष 2022 में उनसे 10 लाख रुपये लिए। यह धनराशि ‘कुचु पुचु इंटरप्राइजेज’ के खाते में पांच किश्तों में जमा कराई गई, जिसमें अभियंता की पत्नी रंजु कुमारी साझेदार थीं।
सचिव पेयजल शैलेश बगोली ने बताया कि स्पष्टीकरण मांगे जाने के बावजूद अभियंता द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर जीएम ट्रेनिंग मानव संसाधन प्रकोष्ठ, रुड़की से संबद्ध किया गया है।
वहीं, हरिद्वार में मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा सामने आने पर सीडीओ आकांक्षा कौड़े ने ग्राम विकास अधिकारी रविंद्र सैनी और प्रमोद सैनी को निलंबित कर दिया है।

दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मृत व्यक्तियों के बैंक खातों में मनरेगा की मजदूरी की धनराशि ट्रांसफर की। यह गड़बड़ी बहादराबाद विकासखंड के गढ़ और आन्नेकी गांवों में की गई थी, जिसकी पुष्टि प्रारंभिक जांच में हुई।

सीडीओ आकांशा कौड़े ने स्पष्ट किया कि निलंबन के साथ दोनों का वेतन भी रोका गया है और उन्हें अन्य विकासखंडों से संबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी भ्रष्टाचार या अनियमितता सामने आने पर सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन भ्रष्टाचार के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर कायम है।