उप चुनाव में बेटा नही बचा पाया पिता की विरासत, अब निकाय चुनाव में इनसे जागी उम्मीदें
मंगलौर कस्बे का अबतक क्या रहा है इतिहास? अंदरूनी तौर पर मंगलौर में निकाय चुनाव की तैयारियां हुई शुरू
क्लिक उत्तराखंड:-(बुरहान राजपुत) राज्य में आगामी निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर सरकार की ओर से अंतिम रूप दिया जा रहा है। जिसके लिए राजनीतिक दलों ने भी अंदरूनी तौर पर तैयारियों में जुट गए हैं।
(फाइल फोटो)
वही इस बार मंगलौर नगर पालिका परिषद चुनाव के घमासान युद्ध में कई दावेदार अपनी ताल ठोक रहे हैं। दिवंगत हाजी सरवत करीम अंसारी की परछाई की तरह हमेशा उनके साथ रहने वाले भतीजे जुल्फिकार अख्तर अंसारी भी इस बार निकाय चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
(फाइल फोटो)
वही कस्बे के लोग जुल्फिकार अख्तर अंसारी को प्रबल दावेदार मानकर चल रहे हैं। लेकिन हाल ही में आए विधानसभा उप चुनाव के रिजल्ट ने सभी को चौका दिया था। भले ही कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने जीत हासिल की हैं। लेकिन बड़ी बात यह भी है कि मंगलौर में भाजपा ने भी अपना दमखम दिखाया है।
मंगलौर नगर अध्यक्ष पद पर मुस्लिम नेताओं का रहा दबदबा, कस्बे का क्या रहा है इतिहास? ये जाने……
हरिद्वार जिले में तीन नगर पालिकाएं हैं उनमें से एक मंगलौर नगर पालिका भी है। मंगलौर कस्बे में सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग निवास करते हैं। जिसके कारण यहां पर हमेशा नगर अध्यक्ष की कुर्सी पर मुस्लिम अध्यक्ष का कब्जा रहा है।
(पूर्व विधायक क़ाज़ी मोहिय्यूद्दीन और पूर्व चेयरमैन चौधरी अख्तर अंसारी फाइल फोटो)
एक दौर ऐसा था जब मरहूम क़ाज़ी मोहिय्यूद्दीन मंगलौर के विधायक हुआ करते थे, तब मरहूम चौधरी अख्तर अंसारी कस्बे के चेयरमैन थे। उनका राजनीति का सिलसिला लगातार जारी रहा। जिसके चलते मरहूम अख्तर अंसारी चार बार खुद अध्यक्ष रहे और एक बार उनकी पत्नी मरहूमा सरवरी बेगम चेयरमैन रही थी। लेकिन 2018 नगर पालिक अध्यक्ष की कुर्सी पर हाजी दिलशाद ने बाजी मारी।
कौन हैं जुल्फिकार अख्तर अंसारी…….
नगर पालिका अध्यक्ष के प्रबल दावेदार जुल्फिकार अख्तर अंसारी पूर्व चेयरमैन मरहूम चौधरी अख्तर अंसारी के पुत्र हैं। और मरहूम दिवंगत विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी के भतीजे भी है। विधानसभा 2022 चुनाव में जुल्फिकार अख्तर अंसारी ने खुलकर अपने चाचा हाजी सरवत करीम अंसारी के लिए मंच सजाए, सभाएं कराईं। और सर्व समाज के वोट भी दिलवाए।
(विधायक मरहूम हाजी सरवत करीम अंसारी फाइल फोटो)
जिसके कारण दिवंगत विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल की थी। लेकिन ईश्वर को कुछ ओर ही मंजूर था बीमारी के कारण विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।
(फाइल फोटो)
हाजी सरवत करीम अंसारी के देहांत के बाद मंगलौर सीट खाली हो गई थी। उसके बाद से ही क्षेत्र में जुल्फिकार अख्तर अंसारी भी सक्रियता बनाए हुए हैं।
जिसके बाद मंगलौर विधानसभा उप चुनाव में जुल्फिकार अख्तर अंसारी ने अपने चचेरे भाई और दिवंगत विधायक के बेटे उबैद्दूरहमान अंसारी उर्फ मोन्टी के लिए भी कड़ी मेहनत की। लेकिन उनको जीत हासिल नहीं हुई।
(फाइल फोटो)
चुनाव में कस्बे में जुल्फिकार अख्तर अंसारी ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली। हालांकि आगामी मंगलौर नगर पालिका के चुनाव में चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी मरहूम हाजी सरवत करीम अंसारी/उबैदुर रहमान अंसारी मोन्टी खेमे के सबसे प्रबल और मजबूत दावेदार माने जा रहे है। बरहाल अब देखना होगा कि मंगलौर की सियासत किस ओर करवट बदलती है। और मंगलौर में कौन किस पार्टी के टिकट से चुनावी मैदान में कूदेगा। ये तो आने वाला समय ही बताएगा।